विनीत कुमार सिंह: डॉक्टर से अभिनेता और 22 साल के संघर्ष की जीत

शालिनी तिवारी
शालिनी तिवारी

लक्ष्मण उतेकर की फिल्म ‘छावा’ (Chhaava) ने कई किरदारों को चमकाया, लेकिन एक चेहरा ऐसा था जिसने Spotlight चुरा ली — विनीत कुमार सिंह। कवि कलश का रोल… छोटा नहीं, गहरा था—और विनीत ने उसे ऐसा निभाया कि थिएटर से निकलते दर्शक नाम पूछते नहीं, याद रखकर आते थे।

विक्की कौशल की धमाकेदार परफॉर्मेंस के बीच भी उनका काम उभरकर आया। औरंगजेब बने अक्षय खन्ना की तारीफ जरूर हुई, पर दिल जीतने वाला एक ही नाम था—Vineet.

‘छावा’ का क्लाइमैक्स, जो सिर्फ विक्की और विनीत पर फिल्माया गया—वही सीन जिसने हर किसी को हिला दिया।
और शायद वही पल था जब विनीत को लगा— “Finally… I exist.”

डॉक्टरी छोड़कर एक्टिंग — और ये कोई फिल्मी कहानी नहीं

ये सुनकर हर कोई चौंक जाता है कि विनीत कुमार सिंह असली डॉक्टर हैं। CPMT क्वॉलिफाइड, मेडिकल कॉलेज टॉपर, BAMS + MD इन आयुर्वेद, नेशनल लेवल बास्केटबॉल प्लेयर। मतलब आदमी के पास Plan A, Plan B, Plan C सब थे, पर दिल ने कहा — “Acting ही करनी है!”

दिक्कत? बॉलीवुड ने कहा — “Next!” और यही “Next” सुनते-सुनते 22 साल बीत गए।

मुंबई आए, टैलेंट हंट जीता… और फिर वही पुरानी स्ट्रगल स्टोरी

विनीत मुंबई इसलिए आए कि Mumbai Superstar Talent Hunt जीतकर सीधा फिल्म मिलेगी। मिली भी— महेश मांजरेकर ने ‘पिताह’ में रोल दिया। फिल्म फ्लॉप। और फिर जीरो से सफर शुरू। विनीत ने असिस्टेंट डायरेक्टर भी बने— विरुद्ध, देह, फिर 2007 में फैसला “अब डायरेक्शन नहीं, सिर्फ एक्टिंग।” और संघर्ष दोबारा शुरू।

पहला मोड़: ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ — दानिश खान ने नोटिस करा दिया

अनुराग कश्यप ने ‘सिटी ऑफ गोल्ड’ में देखकर उन्हें मौका दिया। ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में दानिश खान बने— लोगों ने पहली बार कहा-“ये बंदा एक्ट करता है!” पर असली बदलाव अभी दूर था…

दूसरा टर्निंग प्वॉइंट: ‘मुक्काबाज़’ — जहां विनीत Actor नहीं, Fighter बन गए

‘मुक्काबाज़’ ने विनीत को बदल दिया। उन्होंने अपने रोल के लिए 2 साल की बॉक्सिंग ट्रेनिंग ली। Role में उन्होंने जान नहीं, जुनून डाल दिया। Audience और Critics दोनों बोले— “ये है Real Actor।” इसके लिए बेस्ट एक्टर (क्रिटिक्स चॉइस अवॉर्ड 2019), फिल्मफेयर नॉमिनेशन मिले। लेकिन फिर भी वही बात… पहचान अधूरी, सपने आधे।

OTT ने हाथ थामा — और फिर आया करियर का बड़ा उछाल

OTT की दुनिया ने विनीत को वो जगह दी जो थिएटर ने देर से दी थी।

उन्होंने चमक दिखायी—

  • Bard of Blood
  • Betaal
  • Rangbaaz: Dar Ki Rajneeti

‘रंगबाज’ उनका दूसरा बड़ा टर्निंग प्वॉइंट बना। लोगों ने कहा— “ये Actor नहीं, Fire है।”

और फिर आया ‘छावा’ — 22 साल का संघर्ष एक फिल्म में रंग लाया

कवि कलश के किरदार ने विनीत को Mainstream Recognition दिला दी। फिल्म के बाद उन्होंने कहा था— “अब कोई मुझे अंडररेटेड नहीं कहेगा।” वाकई—इंडस्ट्री में आखिरकार उनके नाम की गूंज हुई। Jagrann Film Festival में ‘छावा’ के लिए मिला अवॉर्ड — वो अनाउंसमेंट नहीं, उनके 22 साल के संघर्ष का प्रूफ था।

विनीत की कहानी हर स्ट्रगलर के दिल को ऊर्जा देती है

विनीत कुमार सिंह का सफर बताता है— अगर Talent है… Passion है… और ज़िद है… तो देर हो सकती है… हार नहीं। ‘छावा’ सिर्फ एक फिल्म नहीं, विनीत के 22 साल का Payback Moment है।

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